सैन्य शक्ति सम्मेलन: सीएम का एलान, देहरादून में 60 बीघा भूमि में बनेगा सैन्य धाम

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम की बात कही थी। यह सैन्य धाम देहरादून में बनेगा। इसके लिए नगर निगम से 60 बीघा भूमि का प्रबंध हो गया है।
 

बजट की व्यवस्था भी कर दी गई है। मुख्यमंत्री सोमवार को राजधानी के एक होटल में अमर उजाला और राज्य सरकार के संयुक्त सैनिक सम्मेलन 'मेरे सैनिक, मेरा अभिमान' को संबोधित  कर रहे थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमारे लिए सैनिकों का सम्मान सबसे बढ़कर है। सेना का सम्मान करना, अपने देश का सम्मान करना है। जिस राज्य में सेना का सम्मान नहीं होता, वहां किसी का सम्मान नहीं होता। उन्होंने कहा कि हमेशा शक्ति की ही पूजा होती है।

जिस देश की सैन्य शक्ति मजबूत है, दुनिया उसे सम्मान देती है। बलि बकरे की दी जाती है, शेर की नहीं। लड़ाई शस्त्र और शास्त्र से जीती जाती है। सेना मजबूत होने से ही देश मजबूत रहेगा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर बोलते हुए कहा कि कश्मीर में इसकी वजह से बहुत सी समस्याएं थीं। अब इसके हटने से कश्मीरी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। आज कश्मीर विकास की ओर बढ़ रहा है। 

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी उत्तराखंड राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा। देश की सुरक्षा में लगी बड़ी हस्तियां उत्तराखंड से ही हैं।


 



उनसे प्रदेश का मान बढ़ता है। भारतीय सैन्य अकादमी के कमांडेंट एसके झा ने कहा कि उत्तराखंड और भारतीय सेना का संबंध अटूट है। यहां के लोग पराक्रमी और स्वस्थ हैं। उत्तराखंड देश को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला अग्रणी राज्य है।

पूरे देश में जितने सैनिक हैं, उत्तराखंड का उसमें तीसरा स्थान है। देश का पहला परमवीर चक्र भी उत्तराखंड के मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला था। अभी भी उत्तराखंड के जो जवान सेना में ट्रेनिंग ले रहे हैं, वे बहुत बहादुर हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। पांचवें धाम सैन्य धाम के साथ ही यह राज्य ज्ञान धाम और प्राण धाम भी है।

लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गंभीर सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड के लोग मेहनती, वीर और कर्तव्यनिष्ठा से भरपूर हैं। गढ़वाल और कुमाऊं रेजीमेंट के जवानों ने हर युद्ध में अपना योगदान दिया है। चीन, पाकिस्तान और कारगिल युद्ध में दुश्मनों का डटकर सामना किया। कई शहीद भी हुए, जिनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा है।

पहला विक्टोरिया क्रास भी उत्तराखंड के वीर को ही मिला था। उन्होंने राइफलमैन जसवंत सिंह की वीरता का भी जिक्र किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संगम कला मंच के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

अमर उजाला उत्तराखंड के संपादक संजय अभिज्ञान ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड का जन्मदिन अनूठे तरीके से मना रही है, जिसमें अमर उजाला को भी भागीदार बनाया है।

ये जवान राज्य है और जवान राज्य देश को समाधान देता है। उत्तराखंड हर प्रश्न का उत्तर है। अमर उजाला के मार्केटिंग प्रेजीडेंट राजीव केंटल ने धन्यवाद किया। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, टिहरी की सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक हरबंस कपूर, गणेश जोशी, विनोद चमोली, पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी, डीजीपी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार समेत वर्तमान व पूर्व सैन्य अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।




सेना किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम 



सुरक्षा के हिसाब से सैन्य प्रशिक्षण की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वर्तमान में देश में आंतरिक सुरक्षा की चुनौती बढ़ रही है और इसी हिसाब से प्रशिक्षण में भी बदलाव हो रहा है। ये बात आंतरिक सुरक्षा और सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण व आधुनिकीकरण विषय पर आयोजित दूसरे तकनीकी सत्र में साफ उभरकर सामने आई।

इस सत्र में अमर उजाला के उत्तराखंड संपादक संजय अभिज्ञान ने आईएमए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एसके झा, आईएमए के पूर्व कमांडेंट जीएस नेगी, आईएमए के पूर्व कमांडेंट केके खन्ना व डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार से आंतरिक सुरक्षा, सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण, सेना के आधुनिकीकरण, बजट, सेना में अफसरों की कमी सहित कई अन्य ज्वलंत मसलों पर चर्चा की। इनसे जुड़े सवालों पर सैन्य अधिकारियों ने जो जवाब दिए, उन्होंने यही जाहिर किया कि भारत की सैन्य ताकत दुनिया की किसी भी सेना से कम नहीं है। पेश है सैन्य अफसरों से चर्चा में निकली कुछ अहम बातें।

भरोसा रखिये, ट्रेनिंग में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते
आईएमए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एसके झा ने कहा कि आईएमए की स्थापना 1932 में हुई। उस समय के हालात और आज के हालात में बहुत बदलाव आ चुका है। ट्रेनिंग को लेकर पूर्व कमांडेंट जीएस नेगी और केके खन्ना ने इसे अपने हिसाब से मजबूती दी। नई तकनीकी और ट्रेनिंग के बारे में उन्होंने कहा कि वह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि समय के हिसाब से जैसे सब बदल रहे हैं, वैसे हम भी बदल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि लैंग्वेज की ट्रेनिंग आईएमए में नहीं, एनडीए में दी जाती है। इतना जरूर है कि अफसर बनने के बाद विदेशी भाषाओं का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां तक की चीनी भाषा भी सिखाई जाती है। आईएमए में महिला अधिकारियों के प्रशिक्षण पर आईएमए कमांडेंट ने कहा कि ओटीए चेन्नई में महिला अफसरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें परमानेंट कमिशन दिया जा रहा है। हो सकता है भविष्य में आईएमए में भी उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। 




वीडियो गेम ने बच्चों की फिटनेस कम कर दी



आईएमए के पूर्व कमांडेंट जीएस नेगी ने ट्रेनिंग की चुनौतियों पर कहा कि आज बच्चे वीडियो गेम, टेलीविजन आदि को अधिक समय दे रहे हैं। यही वजह है कि फिजिकल फिटनेस कम दिख रही है। वहीं आने वाले समय ऐसा आने वाला है, जब जवान हुक्म का इंतजार नहीं करेंगे। वे ऑन द स्पॉट निर्णय ले सकेंगे। आईएमए के पूर्व कमांडेंट केके खन्ना ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा बड़ी चुनौती है। आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए अलग-अलग फौज नहीं है। उसी सैनिक को बाहरी और उसे ही आंतरिक सुरक्षा से निपटना है।

सोशल मीडिया बड़ी चुनौती
डीजी ला एंड ऑर्डर अशोक कुमार के मुताबिक बदलते दौर में सोशल मीडिया बड़ी चुनौती है। पूर्व में जिस काम को करने के लिए सीमा पार करनी होती थी, वह काम अब ऑनलाइन हो जाता है। सेना में अधिकारियों के नौ हजार पद खाली होने और 21 सौ अधिकारियों के वीआरएस लेने के सवाल पर विशेषज्ञों ने कहा कि बदलते दौर में अधिकारियों के पास तमाम विकल्प हैं। जबकि पूर्व में अधिकारियों के पास इतने विकल्प नहीं थे। सेना के बजट के बारे में सेना के विशेषज्ञों ने कहा कि सेना के आधुनिकीकरण के लिए किसी भी देश के पास पर्याप्त पैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया इसका समाधान है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि युवा अफसर सेना की बड़ी ताकत हैं।  

नेपाल, बिहार और झारखंड से वापस नहीं आता सत्यापन 
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में लोगों ने अधिकारियों से कुछ सवाल किए। कार्यक्रम में शामिल महावीर सिंह राणा के सवाल का जवाब देते हुए डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने कहा कि प्रदेश में काम की तलाश में आने वाले लोगों का पुलिस सत्यापन करती है, लेकिन नेपाल, बिहार और झारखंड से सत्यापन वापस नहीं आते।